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27 May 2021 · 1 min read

मेहमान

वक़्त के यहाँ सभी मेहमान है ।
इस बात से क्यों अंजान है ।
है ख़बर नही अगले पल की ,
फिर किस बात का गुमान है ।
हैं एक राह के मुसाफ़िर सभी,
मंजिल एक एक ही मुक़ाम है ।
चलना है तन्हा ही सफ़र पर
चाहतों का वे-बजह समान है ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…

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