Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 May 2021 · 1 min read

"आबाद हुई दुनिया"

आबाद हुई दुनिया,जहां जल था,
पेड़ो की छाया लाने वाला पल था,
अंकुरित अनाज पैदा होने की आशा,
जहां इंसान अपनी राहों में सकुशल था।

दूर-दूर तक कोई परिवर्तन नहीं,
न कोई बाहरी दुनिया का कोलाहल था,
जन्म भूमि पर इंसान अपनी शक्ल था,
बस रहने का छोटा घर ही महल था,

आबादी के लिए और क्या जरूरत थी,
बस दो रोटी,कपड़ा,मकान बस हल था,
जीने की चाह में कोई दख़ल नहीं,
जो आज खुशियां वहीं कल था।

Loading...