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22 May 2021 · 1 min read

हर रात की बेचैनी

हर रात की बेचैनी
हमने अकेले जीनी।

तुमने रिश्ता तोड़के
हमसे साँसे छीनी।

और ना आँसू पीने
हमने ज़हर है पीनी।

उफ़ ज़हर है कड़वा
ज़रा डाल दो चीनी।

इश्क़ नहीं दुनियाई
बात ये पूरी यक़ीनी।

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

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