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21 May 2021 · 1 min read

मुसाफ़िर

देखते ही देखते न जानें
कितने लोग कहानी हो गए
तिनका तिनका जोड़ कर बनाया हुआ
आशियाना छोड़ कर चले गए
लम्बी उम्र की दुआएं देने वाले
खुद जमाना छोड़ कर चले गए
जमीं पर जलने वाले कितने चराग़
सितारे आसमानी हो गए
देखते ही देखते न जानें
कितने लोग कहानी हो गए

आसमाँ को छूने वाले महल
पल भर में ही मिट गए
ख़ुद को जमींदार कहने वाले
दो गज की कब्र में सिमट गए
कौन रोक सका है वक़्त के दरिया को
जिससे टकराकर पर्वत भी पानी हो गए
देखते ही देखते न जाने
कितने लोग कहानी हो गए

मिट गए न जाने किरदार कितने ही
पीछे सिर्फ़ कहानियाँ रह गयी
चले गए मुसाफिरों की तरह
पीछे सिर्फ़ निशानियां रह गयी
ढुंढने से भी अब नजर नही आते
जिनके साये जिस्म से रूहानी हो गए
देखते ही देखते न जानें
कितने लोग कहानी हो गए

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