Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 May 2021 · 1 min read

बरसात के दोहे

मेघ सुधा जल बरसते, 1धरती शीतल होय
मेढक गाते गीत औ, व्याकुलता दे खोय
2
जल स्रोतों को कर रहे, बादल जल का दान
सुखी हुए सब मीन सा, क्रषक उगाए धान
3
काले काले मेघ तब, जल ले वसुधा पास
गरज चमक मानो कहे, बुझाओ अपनी प्यास
4
वर्षा जल पीयूष है, जिसका संचय होय
तभी भूमिगत जल बढ़े, जो धरती मल धोय
5
पंक पकड़ता पैर को, भीगे तन बरसात
छाता का आया समय, जाते ज्यूँ बारात
6
धरती बादल के मिलन, को कहते बरसात
हर्षित होकर प्रकृति फिर, कहती है उल्लास
7
वन बादल के मित्र हैं, कटे पड़े चहु ओर
कैसे हो बरसात तब, कैसे नाचे मोर
8
वर्षा ऋतु अब हो रही, सूखा मे तब्दील
प्रकृति नाश मत मनुज कर, बन जा सभ्य सुशील
9
पावस आकुलता हरण, कर लो मेघा आज
हो जाए सर्वत्र ही, हरियाली का राज
10
रिमझिम बारिश हो रही, गर्जन चमक बहार

घर बनते पकवान है, वर्षा का त्योहार
11
प्रकृति प्रदूषित होय ना, रखना इसका ध्यान
बादल बरसे खूब तब, सब का हो कल्याण
12
स्वागत हो बरसात का, पेड़ लगा इंसान
आभूषण है जो धरा, सब कुछ करते दान

Loading...