Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2021 · 1 min read

ग़ज़ल/नज़्म – वो ही वैलेंटाइन डे था

(ग़ज़ल/नज़्म – वो ही वैलेंटाइन डे था)
एक दिन मैं खुद में बड़ा सा, जहां जोड़ के आया था,
अपने दिल की धड़कनों में, आसमां जोड़ के आया था ।

पास आने की मनुहार की थी किसी ने, छूके मेरा हाथ हौले से,
उसके माथे पे तब मैं बहुत से अपने, निशां जोड़ के आया था ।

उसका मौन उस मुलाकात में, कर गया था अहसास बयां,
उसके थिरकते लबों से बोलती, दास्तां जोड़ के आया था ।

चौदह फरवरी है, वैलेंटाइन डे है, दोस्त आज याद दिला रहे,
उनको खबर है के तारीखों का मैं, कारवाँ जोड़ के आया था ।

हर दिन यूँ तो अच्छा है “खोखर”, पर वो दिन कुछ अलग ही था,
जो उसके दिल से अपना प्यार मैं, जवाँ जोड़ के आया था ।

(मनुहार = प्रार्थना, विनती, खुशामद)
(दास्ताँ = बीती बातें, विस्तार में वर्णन, कथा, कहानी, अफसाना)
(कारवां = काफिला, समूह, श्रृंखला)

©✍?14/02/2021
अनिल कुमार (खोखर)
9783597507,
9950538424,
anilk1604@gmail.com

1 Like · 348 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार
View all

You may also like these posts

तेरी यादों के साये में
तेरी यादों के साये में
हिमांशु Kulshrestha
सावधान मायावी मृग
सावधान मायावी मृग
Manoj Shrivastava
संवेदना
संवेदना
Ruchika Rai
3480🌷 *पूर्णिका* 🌷
3480🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था
शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था
Harinarayan Tanha
साथी
साथी
Sudhir srivastava
प्रदाता
प्रदाता
Dinesh Kumar Gangwar
भाषा से परे राजनीति, तमिलनाडु में हिंदी विरोध से लेकर सत्ता संघर्ष तक: अभिलेश श्रीभारती
भाषा से परे राजनीति, तमिलनाडु में हिंदी विरोध से लेकर सत्ता संघर्ष तक: अभिलेश श्रीभारती
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
पुरुषों के पास मायका नहीं होता, ना कोई ऐसा आँगन, जहाँ वे निः
पुरुषों के पास मायका नहीं होता, ना कोई ऐसा आँगन, जहाँ वे निः
पूर्वार्थ
जो रोज भागवत गीता पड़ता है वह कोई साधारण इंसान नहीं,
जो रोज भागवत गीता पड़ता है वह कोई साधारण इंसान नहीं,
Shivam Rajput
*नारी के सोलह श्रृंगार*
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
तुम्हीच सांगा कसा मी ?
तुम्हीच सांगा कसा मी ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
घूंट कड़वा ही सही हमदम तेरे इश्क का,
घूंट कड़वा ही सही हमदम तेरे इश्क का,
श्याम सांवरा
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आँखे नम हो जाती माँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
Sushil Pandey
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
पंकज परिंदा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
बारिश आई
बारिश आई
अरशद रसूल बदायूंनी
इस सोच को हर सोच से ऊपर रखना,
इस सोच को हर सोच से ऊपर रखना,
Dr fauzia Naseem shad
व्यवस्थित जीवन का आनंद अस्त-व्यस्त लोग न उठा सकते हैं, न समझ
व्यवस्थित जीवन का आनंद अस्त-व्यस्त लोग न उठा सकते हैं, न समझ
*प्रणय प्रभात*
तेरे बदलने का दुख नहीं है मुझको,
तेरे बदलने का दुख नहीं है मुझको,
Ranjeet kumar patre
जाने क्यों
जाने क्यों
Rashmi Sanjay
ये दिल किसे माने : अपने और बेगाने ?
ये दिल किसे माने : अपने और बेगाने ?
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
अदरक
अदरक
ललकार भारद्वाज
अपनेपन की आड़ में,
अपनेपन की आड़ में,
sushil sarna
अपना माना था दिल ने जिसे
अपना माना था दिल ने जिसे
Mamta Rani
पुराना भूलने के लिए नया लिखना पड़ता है
पुराना भूलने के लिए नया लिखना पड़ता है
Seema gupta,Alwar
"नोटा"
Dr. Kishan tandon kranti
"और बताओ"
Madhu Gupta "अपराजिता"
Loading...