Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2021 · 1 min read

बरसात

धरती को उसके घनघोर तपन से मुक्त करती बरसात।
खेतों के उबड़ खाबड़ ढेलों को संयुक्त करती बरसात।
देती है जीवन पपीहा को एक बूंद से,
न जाने उस बून्द में क्या प्रयुक्त करती है बरसात।
-सिद्धार्थ पांडेय

2 Likes · 4 Comments · 624 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अध्यात्म के नाम से,
अध्यात्म के नाम से,
Dr.Pratibha Prakash
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
Manisha Manjari
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
डॉ० रोहित कौशिक
दुष्यंत और शकुंतला (पौराणिक कथा)
दुष्यंत और शकुंतला (पौराणिक कथा)
Indu Singh
खुरदरे हाथ
खुरदरे हाथ
आशा शैली
*शिवोहम्*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
सुनीलानंद महंत
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ज़माने से खफा एक इंसान
ज़माने से खफा एक इंसान
ओनिका सेतिया 'अनु '
रूप
रूप
Iamalpu9492
माने न माने
माने न माने
Deepesh Dwivedi
जलता हूं।
जलता हूं।
Rj Anand Prajapati
फिर से नही बसते है वो दिल
फिर से नही बसते है वो दिल
पूर्वार्थ
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
Dr Nisha Agrawal
#राष्ट्रीय_उपभोक्ता_दिवस
#राष्ट्रीय_उपभोक्ता_दिवस
*प्रणय प्रभात*
वैश्विक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका
वैश्विक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका
Sudhir srivastava
"प्रकृति गीत"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अल्फाज (कविता)
अल्फाज (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
रंग
रंग
Rambali Mishra
नारी
नारी
Mandar Gangal
संतानों का दोष नहीं है
संतानों का दोष नहीं है
Suryakant Dwivedi
हमसफ़र
हमसफ़र
Roopali Sharma
कौन समझाए नस्ल ए दुश्मन को
कौन समझाए नस्ल ए दुश्मन को
Shweta Soni
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
चलो चले हम महाकुम्भ में,
चलो चले हम महाकुम्भ में,
shashisingh7232
मुकद्दर कह रहा मुझसे , तपेगी आजिज़ी कब तक
मुकद्दर कह रहा मुझसे , तपेगी आजिज़ी कब तक
Neelofar Khan
अजनबी (एक मोहब्बत)
अजनबी (एक मोहब्बत)
Neeraj Kumar Agarwal
वृद्धाश्रम का अब मिला,
वृद्धाश्रम का अब मिला,
sushil sarna
दिल में रह जाते हैं
दिल में रह जाते हैं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...