Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2021 · 1 min read

काली घटा

खुले आसमान में बादलों का उमड़ना
सभी जीवों को गर्मी से राहत पहुंचाना
मानो बादलों का बदलीं रूपी मुस्कान,
बुन्दो के रुप में शीतलता प्रदान करना
सबको ठन्डे मौसम का एहसास होना।
मन्द-मन्द सर्द हवाएं रह-रह बहना।
काली-काली घटा नभ में छा जाना,
तन-मन को एक नयी उमंग पहुँचना॥
©️ रमेश कुमार सिंह रुद्र®️

2 Likes · 2 Comments · 425 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
- घरवालो की गलतियों से घर को छोड़ना पड़ा -
- घरवालो की गलतियों से घर को छोड़ना पड़ा -
bharat gehlot
(गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में) वेदों,उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में 'ओम्' की अवधारणा (On the occasion of Geeta Jayanti Mahotsav) Concept of 'Om' in Vedas, Upanishads and Srimad Bhagavad Gita)
(गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में) वेदों,उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में 'ओम्' की अवधारणा (On the occasion of Geeta Jayanti Mahotsav) Concept of 'Om' in Vedas, Upanishads and Srimad Bhagavad Gita)
Acharya Shilak Ram
मु
मु
*प्रणय प्रभात*
अगर आज मेरे पास भी शोहरत और पैसा होता तो हम भी आज हर किसी की
अगर आज मेरे पास भी शोहरत और पैसा होता तो हम भी आज हर किसी की
Rj Anand Prajapati
मोहब्बत बस यात्रा है
मोहब्बत बस यात्रा है
पूर्वार्थ
पीड़ा..
पीड़ा..
हिमांशु Kulshrestha
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
goutam shaw
" वेदना "
Dr. Kishan tandon kranti
कुंडलिया
कुंडलिया
अवध किशोर 'अवधू'
मसान.....
मसान.....
Manisha Manjari
मध्यम परिवार....एक कलंक ।
मध्यम परिवार....एक कलंक ।
Vivek Sharma Visha
अतृप्त मन,त्रस्त दिल,था सुकून की तलाश में,
अतृप्त मन,त्रस्त दिल,था सुकून की तलाश में,
अदिति शर्मा "अदित्रि"
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
Udaya Narayan Singh
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
पं अंजू पांडेय अश्रु
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बंटवारा
बंटवारा
Shriyansh Gupta
उलझनों से भरी इस दुनिया में
उलझनों से भरी इस दुनिया में
Ranjeet kumar patre
अर्ज़ है ... हर ज़ाम में डुबते है महफ़िल सजाने को , ये कह कर
अर्ज़ है ... हर ज़ाम में डुबते है महफ़िल सजाने को , ये कह कर
ज्योति
बिटिया की जन्मकथा
बिटिया की जन्मकथा
Dr MusafiR BaithA
एकांत
एकांत
Akshay patel
सिलसिला
सिलसिला
Ramswaroop Dinkar
पिता की छाँव
पिता की छाँव
मनोज कर्ण
कट ले भव जल पाप
कट ले भव जल पाप
C S Santoshi
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
तसव्वुर में तुम्हें , हम देख लेंगे ,
तसव्वुर में तुम्हें , हम देख लेंगे ,
Neelofar Khan
अस्तित्व
अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...