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17 May 2021 · 1 min read

मुझको है बरसात से प्यार

वो कागज की कश्ती, वो बचपन की मस्ती।
भीगने का बेसब्री से इंतजार, मुझको है बरसात से प्यार।।

सावन में झूलों का त्यौहार, रिमझिम-रिमझिम बरसती फुहार।
आती इसमें खुशियों की बहार, मुझको है बरसात से प्यार।।

आसमान में इंद्रधनुष का छाना,
वो नीम के पेड़ पर निम्बोली का आना।
झूलों पर झूलते हुए मल्हारों का गाना,
पुरानी सखियों को आपस मे मिलाना।।
करती आशाओं का संचार, मुझको है बरसात से प्यार।

चारों तरफ छाती हरियाली,गीत सुनाती कोयल निराली।
शोर मचाये पुरवैया मतवाली,भर जाते सब नदियां-नाली।।
करती ये धरती का श्रृंगार, मुझको है बरसात से प्यार।

खिल उठता सारा चमन, प्रकृति का होता नवसृजन।
आती जमीन मे फिर से जान,खुश हो उठते सारे किसान।।
ये प्रकृति का उत्तम उपहार, मुझको है बरसात से प्यार।।

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