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13 May 2021 · 1 min read

मुमताज़ हमारे पास भी है।

इश्क का सर पर ताज भी है।
शाहजादों का अंदाज़ भी है।
बनवा न सकें भले ताजमहल।
मुमताज़ हमारे भी पास भी है।
*****
कुमारकलकन्स, 13,05,2021,

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