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13 May 2021 · 1 min read

मुक्तक

सेवा भाव समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता जो उपकार सदा ही, पाता वह सम्मान है l

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