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12 May 2021 · 1 min read

यह रिश्ता

यह रिश्ता
समुन्दर सा गहरा नहीं
किसी भी दरार सा
खोखला है
पानी में इतना गहरा
उतरने पर भी
मुझे न कोई सीप
न ही कोई मोती मिला
यह बिना मंजिल का
सुंदर सपनों का बस
एक मेला है
तुम्हारे बारे में
मुझे कोई ठोस जानकारी नहीं
तुम्हारी जिन्दगी के रंगों में
कहीं मैं शामिल नहीं
सामने पड़ने पर
हल्का सा मुस्कुराकर
हाथ बढ़ाकर
गले लगाकर
बोल लेना तो
तुम्हारी अदा है
कोई मेरे प्रति जिम्मेदारी या
वफादारी नहीं
क, ख, ग भी न जानूं
मैं तो तुम्हारे जीवन की
ऐसे रिश्ते देते हैं दर्द
जहां न हो कोई भी
साझेदारी
दूसरों के जीवन का हर पहलू
लोग जानना चाहते हैं
अपनी बारी आये तो
अपने घर का पता देने से भी
कतराते हैं
ऐसे रिश्तों का कोई
मोल नहीं
वह किस काम के जो
कहीं तुम्हारा काम बनता हो
तो तुम्हारा नाम लेने में भी
हिचकिचाते हों।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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