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6 May 2021 · 2 min read

बचपन की यादों को यारो मत भुलाना

बचपन की यादों को यारो मत भूलाना
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शाम होते ही छतो पर चढ़ जाना,
छतो पर चढ़कर पानी छिड़कना,
पानी छिड़का कर गद्दे बिछाना
गद्दे बिछाकर उसपर चादर बिछाना।
बचपन की यादों यारो मत भुलाना।।

आधी रात को बरसात का आ जाना
गद्दे चादर उठाकर नीचे भाग जाना,
भाग कर फिर से मुंह ढक कर सो जाना,
मम्मी ने सुबह डंडे मारकर जगाना,
बचपन की यादों को यारो मत भूलाना

सुबह होते ही खेतो पर चले जाना,
खेतो पर जाकर वहां रहट चलाना,
रहट चलाकर वहां नंगे नहाना,
नहाकर फिर ढेर सारे गन्ने खाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

किराए की साइकिल लाकर उसको चलाना,
गद्दी पर न पैर आए उसकी कैची चलाना,
एक घंटे की जगह सवा घंटे चलाना,
पैसे देने के नाम पर करते थे बहाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

फटे टायरो को गलियों में चलाना,
साईकिल के रिमो को डंडे से भगाना,
डंडा टूट जाए तो कीलो से जुड़वाना,
जुड़वा कर फिर से पहिया चलाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

आंख मिचौली में किसी के घर छिप जाना,
छिपकर भी दोस्तो को आवाजे लगाना,
पकड़े गए तो रोकर घर भाग जाना,
आ जाते थे घर दोस्त, फिर उनका मनाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

कोड़ा जमाई खेल में आंखे दिखना,
खोखों के खेल में किसी के पीछे छुप जाना,
कबड्डी के खेल में अपनी टीम को बनाना,
कबड्डी कबड्डी कहकर दूसरे के पाले में जाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

खेल के मैदान में खुरपे से गुच्ची बनाना,
लकड़ी देकर बढ़ई से गुल्ली डंडा बनवाना,
फिर यार दोस्तो को उनके घरों से बुलवाना,
बुलवाकर फिर गुल्ली डंडे की दो टीम बनाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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