Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 May 2021 · 1 min read

सांसो की जरूरत

युवराज गौतम ,उत्तर प्रदेश अलीगढ़

सांसो की जरूरत,,,,,,,,,,,,

दो सांसों की मोहताज है ये ज़िंदगी
कल हो ना हो जो आज है ये ज़िंदगी
अब जियें भी तो किस तरह इसको हम
अब तो उधार की लग रही है जिंदगी।।

बहुत बदल गई है अब ये ज़िंदगी
सिर्फ दर्द ही दे रही है ये ज़िंदगी
जब से आया है कोरोना उसी की
अब बस हो गई है ये ज़िंदगी।।

नहीं वक्त था पहले पास हमारे
अब घर में ही दुबके रहते है हम
पहले किसीसे मिलने का ना था वक्त
अब वक्त है पर मिल नहीं सकते है हम।।

दिल के सारे अरमान छू मंतर हो गए
बस जान बचाना ही मकसद रह गया
थोड़ा पहले से रखा होता हमने ध्यान
सोचता हूं अब आज ये क्या हो गया।।

मास्क लगाना और दो गज़ की दूरी
बस हमें यही सब तो करना था
बच जाती लाखों ज़िंदगियां फिर
इस तरह लोगों ने क्यों मरना था।।

अभी वक्त है मानवता को बचाने का
सुधरने का और फिर संभलने का
बस ध्यान रखो सदा मास्क लगाने
और दो गज़ की दूरी अपनाने का।।

मुश्किल दौर तो आए पहले भी कई
कट जाते है ये दौर भी साथ चलने में
हम अगर कोशिश करें मिलकर तो
ज्यादा वक्त नहीं लगेगा इसे बदलने में।।

Loading...