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3 May 2021 · 1 min read

नही कोई भगवान

भगवान है या तू जल्लाद
दिखते नही तुझे,
तड़फते, फरियाद करते
रोते, बिलखते इंसान ।

पत्थर बना तू
मंदिर में छुप गया
क्या इस बरसती मौत से
तू भी डर गया..??

आखिरी विस्वास था
आस्था बना था तू
विवश हो रहा इंसान
पत्थर क्यों बन गया है तू ..?

बड़े बड़े अहाते तेरे
सोने चांदी जबहरतो के महल
इंसान बिलख रहा मौत से
तुझपे चढ़ रहे दूध,मेवा और फल ।

दुष्टता की सीमा
तू पूरी कर गया
बेशर्म और लालची होने में
तू इंसानों से भी आगे निकल गया ।

ना रो रहा आसमान
ना फट रही धरती
सूरज भी चमक रहा है
चांद तारों की भी वही मस्ती ।

लाशों के धुएं से
तेरा दम क्यों नही घुट रहा
दम तोड़ते बेकसूरों की रूहों से
तेरा घर क्यो नही भर रहा..?

तू सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान
यही समझकर हमने
माना तुझे भगवान
जरूरत हुई तेरी
और तू बन गया हैवान ।

ना कोई भगवान है
ना ही कोई परमपिता परमेश्वर
इंसान था अकेला
और जीवन-मौत का जंजाल…!!!!!

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