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2 May 2021 · 3 min read

कोरोना वायरस के टेस्ट/परीक्षण

कोविद-19 वायरस ने भारत में हाहाकार मचा रखा है। सबसे ज्यादा समस्या तो यह है कि इस वायरस के वारे में अभी तक वैज्ञानिको को ऐसी कोई जानकारी नही है जिसे हर स्थान पर एक समान रूप से लागू किया जा सके, जिसका मुख्य कारण है एक तो यह एकदम नया वायरस है, दूसरा इसमे स्वयं को बदलने की बहुत तीव्रता है । साथ ही अभी तक कोई भी ऐसी दवाई नही है जो इस संक्रमण को खत्म करने की क्षमता रखती हो।
इन सभी समस्याओं के साथ ही कोरोना वायरस परीक्षण के भिन्न भिन्न तरीके है क्योकि यह वायरस व्यक्ति की इम्युनिटी पर निर्भर करता है। व्यक्ति की इम्युनिटी कम है तो व्यक्ति में ज्यादातर लक्षण मिल जाते है किंतु जिनकी इम्युनिटी ठीक है उनमें एक भी लक्षण नही होता फिर भी वो पोसिटिव होता है। ऐसे संक्रमित व्यक्ति को एसिम्प्टोमेटिक मरीज कहते है, ऐसा मरीज कोरोना संक्रमण सबसे ज्यादा फैलाता है क्योकि लक्षण ना होने की बजह से यह व्यक्ति आम व्यक्ति की तरह निश्चिन्त होकर हर जगह पर घूमता रहता है और संक्रमण फैलाता रहता है।

कोरोना वायरस परिक्षण के लिए निम्न परिक्षण कराए जाते है:-
1-रेपिड एंटीजन टेस्ट(RAT).
2-रिवर्स ट्रंसक्रिप्शन पोलिमरेज चैन रिएक्शन(RTPCR)
3-हाई रेसोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी निरीक्षण(HRCT scan)

1- रेपिड एंटीजन परिक्षण( RAT ) :-
एंटीजन हमारे शरीर मे प्रवेश करने वाले रोगाणुओं को कहते है। जब शरीर मे रोगाणु प्रवेश करते है तो शरीर मे प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है और एंटीजन से लड़ने के लिए आन्टीबॉडी बनाती है, जो एंटीजन को मार भगाते है।
RAT टेस्ट के द्वारा इन्हीं आन्टीबॉडी का पता किया जाता है। किन्तु इस परिक्षण को कराने से पहले जरूरी है कि व्यक्ति को कोरोना संक्रमण के लक्षण हों ,क्योकि आन्टीबॉडी अन्य बीमारियों में भी बनती है।
यही कारण है यह परिक्षण की विष्वसनीयता 70-75% है।
अगर ये आन्टीबॉडी व्यक्ति के शरीर मे मिलती है तो व्यक्ति कोरोना पोसिटिव है अन्यथा नही।
इस परीक्षण का परिणाम 10-15 मिनट में आ जाता है, इसलिए यह परिक्षण प्रारम्भिक परिक्षण की तरह प्रयोग किया जा रहा है।
अगर इस परीक्षण में व्यक्ति पोसिटिव आता है तो उसे कॉरेन्टीन के लिए सलाह दी जाती है ,क्योकि इसके पोसिटिव आने का अर्थ है कि मरीज में वायरस की बहुत ज्यादा मात्रा है।
इस परिक्षण के लिए मरीज के नाक या गले से रुई के द्वारा नमूना लिया जाता है और फिर उस नमूने को एक रासायनिक द्रव में डालकर उसकी कुछ बूंदें एक बनी हुई टेस्टिंग किट के ऊपर डाला जाता है, लगभग 5 मिनट बाद यही उस किट पर दो लाइन आती है तो पोसिटिव है और अगर एक लाइन आती है तो नेगेटिव।

2-रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलिमरेज चैन रिएक्शन(RTPCR):-
यह दूसरे प्रकार का परीक्षण है जिससे कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है। जब व्यक्ति में कोरोना संक्रमण के लक्षण है किंतु RAT परिक्षण नेगेटिव आया हो, तब डॉक्टर इस परिक्षण को कराने की सलाह देता है। इस परीक्षण की विष्वसनीयता 90-95% है।
इस परिक्षण के लिए रुई की स्वेब से कोरोना वायरस का सैम्पल लिया जाता है और उस नमूना को रासायनिक द्रव में इकट्ठा किया जाता है।
कोरोना वायरस एक mRNA वायरस है किंतु टेस्टिंग से पहले इसे DNA में बदल लिया जाता है और फिर इस DNA की पोलिमरेज चैन रिएक्शन कराई जाती है। यह चैन रिएक्शन कम से कम 35 वार कराई जाती है ,जो ICMR(इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) द्वारा निर्धारित है। अगर 35 वार चैन रिएक्शन कराने पर वायरस मिल जाता है तो मरीज पोसिटिव है अन्यथा नही ।

3-हच.आर.सीटी स्कैन ( हाई रिसोल्यूशन कम्प्युटराइज़्ड टोमोग्राफी निरीक्षण- HR.CT.Scan ):-
अगर व्यक्ति को कोरोना संक्रमण के सभी लक्षण है किंतु उसका RAT और RTPCR दोनो टेस्ट नेगेटिव आये है ,तब डॉक्टर एच.आर.सीटी स्कैन कराने की सलाह देता है, यह भी एक प्रकार का सीटी स्कैन ही है जिसमे उच्च क्षमता का रेसोल्यूशन का प्रयोग किया जाता है।
इसमें व्यक्ति के फेंफड़ों का सीटी स्कैन कराया जाता है और उसके फेंफड़ों की स्थिति का जायजा लिया जाता है। अगर फेंफड़े सही स्थिति में है तो कोरोना नेगेटिव और अगर फेंफडों में कुछ घाव मिलते है, जो फेंफड़े खराब होने की पहचान है , तो व्यक्ति कोरोना पोसिटिव होगा।
सीटी स्कैन(कम्प्यूटराइज्ड टोमोग्राफी निरीक्षण) कोरोना परीक्षण का सबसे विस्वसनीय तरीका है।

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