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24 Apr 2021 · 1 min read

सबकी अपनी-अपनी दुनिया होती है!!

तन्हाई भी कैसे-कैसे जीवन खोती है,
फ़िक्र हदों से ज्यादा बोझा ढ़ोती है!

कोई दर्द छिपा लेता है हंसकर भी,
कोई आंख खुशी के पल में रोती है!

वैसे तो सब प्यार बांटते रहते हैं,
राजनीति ही बीज़ विषों के बोती है!

भूख हमेशा ले आती है सड़कों पर,
तानाशाही महलों में भी पैर पसारे सोती है!

कौन किसी के समझाए में आता है,
सबकी अपनी-अपनी दुनिया होती है!!
— अशांजल यादव । @ashanjalyadav

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