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3 Apr 2021 · 1 min read

हम नज़ाकत में हया की.....

हम नज़ाकत में हया की उँगलियाँ दाबे रहे,
वो मौहब्बत की कहानी गुफ्तुगू में कह गया !

चाँद कल मुंडेर पर सहमा हुआ आया नजर,
जुगनुओं सा छिप छिपाता बादलों में बह गया !

इल्तिजा उल्फत में करना इश्क की तौहीन है,
रूबरू जो रूह से था वार सारे सह गया !

कश्मकश में लिखते-लिखते फिर मिटाने की,
रौशनाई खप गई और खत अधूरा रह गया !
✍️ लोकेन्द्र ज़हर

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