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25 Mar 2021 · 1 min read

- होली आई, होली आई

होली आई,होली आई
खुशियों की सौगात लाई
सर्दियों को दे दी विदाई
होली आई ,होली आई
**
पहले की होली और अब की होली
मैं कितना अंतर भाई,
कैसी थी वो मस्तानी होली!
निकलती थी सब बच्चों बड़ों की टोली,
रंग गुलाल भरी पिचकारी,
आपस में करते हंसी ठिठोली,
नफरत की कर देते सब विदाई,
होली आई ,होली आई
ढोल मजीरे और बजे उमंगों की शहनाई,
नाचते गाते हाथ पकड़ कर,
सारे साथी करते हमजोली,
कैसी थी वह मस्तानी होली!!
ंंं
अब देखो कैसे मनती होली,
दूर-दूर तक गलियां सूनी रहती,
ना गुलाल ना वैसी पिचकारी,
ना डाफ,ना ही ढोलक
ना ही उमंगों की गूंजे शहनाई,
बस घर बैठे होली मनाते,
सारे के सारे मोबाइल धारी,
बच्चे बूढ़े और नर और नारी,
व्हाट्सएप से संदेश पहुंचाते अगाडी,
जीजा साली देवर भाभी…
नहीं होती अब मधुर रंग जो
सिमट कर रहगया घर का आंगन,
कोई नहीं रहा होली मनभावन,
कैसे बनाएं पहले जैसी होली
कैसे बिछाए रंगों की रंगोली,
सब खाओ प्रीत की गोली,
मनाएं पहले जैसी होली,
होली आए,होली आए
खुशियों की सौगात लाएं।
– सीमा गुप्ता

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