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23 Mar 2021 · 1 min read

बेचैन जिंदगी

ज़िंदगी बेचैन होकर खामोशी के साथ आगे बढ़ रही है।
सांसें आहिस्ता ही सही जिंदगी की दहलीज चढ़ रही है।
कभी कुछ अपना लगता है कभी पराया सा,
कुछ यादें हैं जो सबको अपना मानने को लड़ रही है।
-सिद्धार्थ

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