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21 Mar 2021 · 1 min read

#दोहे सफलता के

?दोहा सफलता के?

इच्छाएँ बढ़ती रही , भागे तन मन नैन।
बहुत मिला पर कुछ नहीं , जब तक चित बेचैन।।

साँस-साँस में मद भरा , उर में अधिक जुनून।
लिखे सफलता का वही , एक अमर मज़मून।।

अपने दम पर ज़िंदगी , जिसको सदा सलाम।
औरों के दम जो जिया , बनके रहा गुलाम।।

बिना लक्ष्य मंज़िल नहीं , मंज़िल जीवन शान।
भूख लगे होता तभी , रोटी का सम्मान।।

इंसान बने भाग्य से , सब जीवों में श्रेष्ठ।
कवि बनता सौभाग्य से , जो मानव में ज्येष्ठ।।

लिया प्रकृति से तोष सब , बढ़ो प्रकृति की ओर।
देने वाला ले सदा , सत्य भुला ना घोर।।

मानव साहस शक्ति है , शक्ति खुशी का मूल।
निज को हीन न मानिए , पंक खिलाए फूल।।

आर.एस.’प्रीतम’

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