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20 Mar 2021 · 1 min read

'दो दिल मिलन की घड़ी आ गई'

मिलन की घड़ी आ गई,
समझो दो दिल मिलन की घड़ी आ गई|

चाँद परछाई सागर में जब दिखने लगे,
तितली फूलों से छुप-छुपके मिलने लगे|
समझो दो दिल मिलन की घड़ी आ गई||1||

फूल आगोश में ले भँवर को कभी,
बाग में पंखुड़ी जब फैलाने लगे|
समझो दो दिल मिलन की घड़ी आ गई||2||

रसास्वादन करे भँवरा अंतर में,
अरविंद होंठों से कँप-कँप कँपाने लगे|
समझो दो दिल मिलन की घड़ी आ गई||3||

मुख से सरिता जब प्रेम की बहने लगी,
उर में बरसात ममता की होने लगी|
समझो दो दिल मिलन की घड़ी आ गई||4||

✍के.आर.परमाल ‘मयंक’

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