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17 Mar 2021 · 1 min read

जीवन और ओस कण

जीवन और ओस कण

क्षणभंगुर सा जीवन जैसे ओस का कण
दोनों का इस पल नर्तन अगले पल मरण

इक मिट्टी की काया मिट्टी में मिल जाए
दूजी हवा से उपजी हवा में ही समाए

स्वाति सीप में मोती कदली ऊपर कपूर
भुजंग मुख विष और धरा गिरे तो धूर

संगति करती परिभाषित दोनों का अंजाम
जैसी संगति वैसा होता इनका परिणाम

रेखांकन।रेखा

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