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15 Mar 2021 · 1 min read

किसी दिन फुर्सत में बैठकर हिसाब मागुंगा मैं

कुछ आंशु , कुछ जज़्बात , कुछ ख्वाब मागुंगा मैं
आज उससे तोहफ़े में कुछ और मुलाकात मागुंगा मैं

ज़िन्दगी तू पाई पाई याद रखना मेरा
किसी दिन फुर्सत में बैठकर हिसाब मागुंगा मैं

आखिर मेरे कत्ल की वजह क्या थी
खुदा से इस सवाल का जबाब मागुंगा मैं

जिसे दुनियां का हर एक शख्स पढ़ सके
खुदा से ऐसी कई किताब मागुंगा मैं

रात के मानिंद तिरगी है आजकल दिन में
सूरज से कतरा भर आबताब मागुंगा मैं

कुछ और बेशकीमती असार कह सके तनहा
खुदा से कुछ और अल्फाज मागुंगा मैं

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