Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Mar 2021 · 1 min read

शब्द

शायद थक गये हैं
शब्द
जो अक्षरों की भावनाओं
में बहकर
शब्द बन गये थे।
कई अर्द्ध अक्षर भी
राहों में आये
अर्द्ध अक्षरों का साथ मिला
पूर्णता मिली
फिर शब्द बनने की
राह में
अनवरत,अहर्निश
दौड़ पड़े अक्षर।
शब्द बने
कुछ बोलते शब्द
कुछ चीखते शब्द
कुछ चुभते शब्द
और
कुछ खामोश शब्द
शब्दों ने जब लोगों के
दर्द को महसूस किया
खुद को
कारण समझा
तो फिर टूटकर
अक्षर और अर्द्धाक्षर
बनने की शपथ ली।
अक्षर कष्ट नहीं देते
शब्द बनते ही
चीखने लगते हैं
चुभने लगते हैं
बहुत बोलते हैं
ये ‘शब्द’
‘शब्द’भी’शब्द’ होना नहीं चाहते
अक्षर बनकर
अक्षर रहकर ही
समाप्त हो जाने को आतुर हैं।
‘शब्द’सबके’शब्द’
शब्द मेरे भी
और हाँ
तुम्हारे भी
सारे ‘शब्द’।
–अनिल मिश्र,प्रकाशित

Loading...