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5 Mar 2021 · 1 min read

बदल गया इंसान

बदल गया इंसान
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कितना अजीब लगता है
जब हम कहते हैं कि
इंसान बदल गया,
परंतु हमने कभी अपने बारे में
सोचा है क्या?
आखिर हम भी तो इंसान हैं,
औरों पर ऊँगलियाँ उठाते हैं,
तो क्या हम खुद को
इंसान नहीं मानते?
फिर……..
जब हम भी इंसान हैं
तब भी खुद को देखते नहीं
औरों पर निशाना साधते हैं,
ऐसा करके
सिर्फ़ अपनी झेंप मिटाते हैं,
अपनी नाकामी छिपाते हैं।
बदले तो सबसे ज्यादा हम ही
ये कहाँ हम बताते हैं?
औरों पर आरोप लगा लगाकर
खुद को सयाना दिखाते हैं,
कौन बदला,कौन नहीं बदला
इसका तो पता नहीं
पर हम जरूर बदल गये हैं,
चीख चीख कर सबको
अपनी औकात बताते हैं।
◆ सुधीर श्रीवास्तव

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