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28 Feb 2021 · 1 min read

प्रेम सुधा

आधार छंद:-किरीट सवैया

211 211 211 211 211 211 211 211
प्रेम सुधा रसना जिसके उर में बहती रहती सरिता सम।
नित्य निरंतर निर्मल पावन वो रहता मिटता उर का तम।
बाहर सुंदरता दिखती तब प्रेम सुगंधित है मन भीतर –
कंटक कानन में हँसता रहता रखता न कभी मन में गम ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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