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27 Feb 2021 · 1 min read

आ के तेरी गली मे ।।।

ख्वाहिश है कि देख लू तूझे ,
मोहब्बत के किसी गली मे।
फिर वही शरारत देख लू ,
आ के तेरी गली मे ।।

तेरी परछाईं भी नसीब नही,
फूलों और कलि मे।
मुसाफिर बन गया मुहब्बत का ,
आ के तेरी गली मे ।।

जो होना था हो गया ,
फिर भी शिकवा तेरी कमी मे।
बदनाम हो गयी हर गलिया ,
आ के तेरी गली मे ।।

ढूढता रहा आसमां की तरफ ,
तू मिली उसी जमी मे।
हैरान हो गया देखकर तुझे ,
आ के तेरी गली मे ।।

ना शिकवा ना शिकायत,
ना कमी मेरी परी मे,
सब देख लिया जी भर के
आ के तेरी गली मे ।।

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