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22 Feb 2021 · 1 min read

गुज़रो जब ज़िन्दगी की राहों से

गुज़रो जब ज़िन्दगी की राहों से
साथ चलना समय के धारों से

मन को देनी उड़ान है ऊँची
खोल कर बेड़ियां भी पाँवों से

आये पतझड़ चले भी जाएंगे
हमको मतलब है बस बहारों से

की अभी ही शुरू उड़ाने हैं
पूछ लेना जरा दिशाओं से

बन न तूफान ये कहीं जाएं
लगने अब डर लगा हवाओं से

रिश्ते मजबूत सबसे होते हैं
जो बँधे होते कच्चे धागों से

‘अर्चना’ आस रोशनी की नहीं
धुयें उठते हुये चरागों से

22-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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