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22 Feb 2021 · 1 min read

बन गए नेता

बाँटते हैं घूम घूम, वह दारू व मुर्गा।
कहीं जिमते इफ्तारी, कहीं पूजे दुर्गा।।
कहीं पूजे दुर्गा, फिर महिषासुर कहाते।
माँ बहन बेटी तक, की आबरू छल जाते।।
बन गए नेता वह, रहते सबको डाँटते।
खत्म होते चुनाव, दिखे न सपने बाँटते।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २१/०२/२०२१)

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