Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2021 · 1 min read

गूंज

बिना आवाज किये भी
एक गूंज होनी चाहिए जो
लौटकर न आये
जो मेरी छत की
मुंडेर से उड़ा
परिंदा
बिना उसे आवाज
लगाये
लौटकर आ जाता है
वह दिल में
बिना बात ही
एक उम्मीद सी
जगाता है
दिल की आवाज भी
सुनता है कोई
किसी की ख्वाहिशों को
अंजाम देता है कोई
कुछ आवाजें ऐसी भी
होती हैं जिनकी गूंज
आसमान तक भी पहुंचे
फिर भी जमीन पर
लौटकर नहीं आती
कुछ फरियादें ऐसी भी होती हैं कि
खुदा भी चाहे तो
उन्हें पूरी न कर पाये
बस यही सब्र का इम्तिहान है
दिल की पायल के
घुंघरू
बिना झंकार किये
टूट जायें तो
उन्हें फिर से
कोई कैसे बांधे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
378 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all

You may also like these posts

मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
दिल को तेरी
दिल को तेरी
Dr fauzia Naseem shad
पाया हमने आपका , सबका इतना प्यार
पाया हमने आपका , सबका इतना प्यार
Dr Archana Gupta
कोई शक्स किताब सा मिलता ।
कोई शक्स किताब सा मिलता ।
अश्विनी (विप्र)
माया सूं न प्रीत करौ, प्रीत करौ परमेस।
माया सूं न प्रीत करौ, प्रीत करौ परमेस।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हमारे अख्तियार में हमारा दिल ही नहीं
हमारे अख्तियार में हमारा दिल ही नहीं
Shweta Soni
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
Phool gufran
राम - सा पुरुष चाहो तो
राम - सा पुरुष चाहो तो
Meera Thakur
"फेसबुक मित्रों की बेरुखी"
DrLakshman Jha Parimal
गठबंधन की अंतिम शर्त
गठबंधन की अंतिम शर्त
Sudhir srivastava
स्पर्श
स्पर्श
sheema anmol
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अदा या अदब
अदा या अदब
विजय कुमार अग्रवाल
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
पूर्वार्थ
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
Atul "Krishn"
कर्बला में जां देके
कर्बला में जां देके
shabina. Naaz
इंसान
इंसान
Ram Krishan Rastogi
बाल कविता ( 26)
बाल कविता ( 26)
Mangu singh
"बुलबुला"
Dr. Kishan tandon kranti
शायद ...
शायद ...
हिमांशु Kulshrestha
In desperation of unwillingness to adapt the subtle emotions
In desperation of unwillingness to adapt the subtle emotions
Chaahat
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#आज_का_आह्वान-
#आज_का_आह्वान-
*प्रणय प्रभात*
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
Vindhya Prakash Mishra
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
दर्द से निकली हुई दास्तान हैं हम,
दर्द से निकली हुई दास्तान हैं हम,
Ajit Kumar "Karn"
धर्म के नाम पे लोग यहां
धर्म के नाम पे लोग यहां
Mahesh Tiwari 'Ayan'
तिलिस्म
तिलिस्म
Dr. Rajeev Jain
प्रिय हिंदी
प्रिय हिंदी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...