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21 Feb 2021 · 2 min read

भाग रहे हैं सब

भाग रहे हैं सब

भाग रहे हैं सब
इधर से उधर

चाह में सुनहरे कल की
वर्तमान को घसीटते
आत्मा को कचोटते

चाह पाने की
थोड़ी सी छाँव
धन की लालसा
विलासिता में आस्था
चाह अहम की

पंक्षी बन उडूं गगन में
बिन पंखों के
आधारहीन
चाल के साथ हवा में
भाग रहे हैं सब

इधर से उधर
आत्मा पर कर वार
जी रहे हैं सब
उधार की

जिंदगी के बोझ तले
अज्ञान के
बिन दीये के
रौशनी की चाह में
भाग रहे हैं सब

इधर से उधर
उद्देश्यहीन राह पर
चौसर की बिसात पर
जिंदगी जी रहे सभी
अकर्म की सेज पर चाहते
फूलों के ताज

समझ नहीं आ रहा
हम जा रहे किधर
भाग रहे हैं सब
इधर से उधर

पालना है फूलों से सजा
मोतियों से भरा
गुब्बारे भी दीख रहे
छन – छन करता
हाथ में खिलौना
पर आधुनिक
माँ के स्तन को टोह रहा
झूले का बचपन
जा रहा हमारा समाज किधर
भाग रहे हैं सब
इधर से उधर

समय की विवशता
ऊँचाइयों को छूने
का निश्चय
एक ही कदम में
अनगिनत सीढियां नापते
कदम अनायास ही
गिर जाने को
मजबूर करते हैं

अस्तित्व खो संस्कारों
को धो
क्या पाना चाहता है
मानव
मानव दौडता है
केवल दौडता ही
रह जाता है

इधर से उधर
भाग रहे हैं सब
इधर से उधर
जीवन अर्थ समझना है
तो धार्मिक ग्रंथों
की खिड़कियाँ खोल
दिव्य दर्शन ,
स्वयं दर्शन
करना होगा
दिव्य विभूतियों
के चरणों का
आश्रय पाना होगा
संस्कृति
व संस्कारों को
जीवंत बनाना होगा

छोड़ राह
भागने की
इधर से उधर
जीवन से
विलासिताओं को
हटाना होगा
स्थिर होना होगा
संतुष्टि, संयम के साथ
स्वयं को संकल्पों
से बाँधना होगा
निश्चयपूर्ण जीवन
जीना होगा
श्रेष्ठ जीवन
राह निर्मित
करना होगा

मनुष्य को
मशीन की बजाय
मानव बनना होगा
मानव बनना होगा

Language: Hindi
1 Like · 312 Views
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