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19 Feb 2021 · 1 min read

हे वंदनीय नारी

हे वंदनीय नारी
तू बड़ी बलशाली
छलनी करते
तेरे बदन को
चलते चारों ओर से
कटु वचनों के तीर
तिरस्कार की मार
दुत्कार
ग्रीवा पर चले आरी
दोधारी तलवार पर चलती हरदम
पर तू न दिखे कहीं से लाचार
परास्त
परेशान
बेचारी और
जीवन से हारी
जीवन की यह जंग
घर हो या
बाहर
तू लड़ती रहती
डटकर सामना करती हर पल
बिना थके
बिना रुके
पूरे जोश
पूरे साहस से
तुझे किसी पुरुष की क्या
आवश्यकता
तू तो खुद में पूर्ण वीरांगना
पूरी मर्दानगी रे
एक इंसान में तू ईश्वरीय शक्ति
का रूप है
तू देवी है
अपने कुल की मर्यादा है
कोई जो तेरी महानता को न
समझे
वह मां के प्रसाद, आशीर्वाद, कल्याण,
सानिध्य, कृपा दृष्टि, दया,
करुणा, प्रताप, त्याग व
निश्चल प्रेम से वंचित
एक कितना बड़ा अभागा रे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
2 Comments · 314 Views
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