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16 Feb 2021 · 1 min read

पाषाण इस पोषित शहर में

पाषाण इस पोषित शहर में

पत्थरों के इस शहर में संवेदनाओं को तलाशता हर एक शख्स
पाषाण पोषित इस शहर में , संवेदनाओं के दीप जलाऊँ तो जलाऊँ कैसे

नशे में डूबता इस शहर का हर एक शख्स
नशे में डूबे इस शहर के हर एक शख्स को , होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे

रिश्तों की चाह में भटकता इस शहर का हर एक शख्स
अजनबियों के इस बियाबान शहर में रिश्तों की आस जगाऊं तो जगाऊं कैसे

मानव मूल्य स्वयं को खोजते इस अजनबी बियाबान शहर में
मानवीय मूल्यों को खोते इस शहर को मानवता का राग सुनाऊँ तो सुनाऊँ कैसे

ख़ुशी हो या गम , पीना है जिनकी जिन्दगी का शगल
पी रखी है जिन्होंने वक़्त – बेवक्त , उन्हें होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे

खुद की परवाह में मशगूल, अपनों को खोता इस शहर का हर एक शख्स
इस शहर के लोगों को , एक दूसरे के नजदीक लाऊँ तो लाऊँ कैसे

पत्थरों के इस शहर में संवेदनाओं को तलाशता हर एक शख्स
पाषाण पोषित इस शहर में , संवेदनाओं के दीप जलाऊँ तो जलाऊँ कैसे

नशे में डूबता इस शहर का हर एक शख्स
नशे में डूबे इस शहर के हर एक शख्स को , होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे

Language: Hindi
1 Like · 275 Views
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