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15 Feb 2021 · 1 min read

अंततः उसके सपनों का दुखद अंत

अंततः उसके सपनों का दुखद अंत

अंततः उसके सपनों का
दुखद अंत हो ही गया
लड़ती रही ताउम्र वह
अपने अस्तित्व के लिए

अपने स्त्री होने का त्रास लिए
बंधन ही तेरा जीवन है
उड़ना नहीं है तुझको
जीना है तुझको
सीमाओं का भान किये

पढ़कर भी क्या कर लेगी तू
एक दिन तो पराया हो जाना है
तेरा जीवन घर का आँगन
उस आँगन की तुलसी बन जीना

सुन – सुनकर यह सब
थक चुकी थी वह
समाज की धारणाओं को छोड़
यातनाओं से मुंह मोड़

अपने अस्तित्व की जंग में
कूद पड़ी वह अग्नि में
पर सह न सकी
वह समाज की पीड़ा

भूल न पाई वह
अपने नारी होने का सत्य
मानसिक यातनाओं का बोझ
वह सह न पाई

टूट चुका था उसका सपना
आसमां को छूने का
बिखर गए थे आशा के मोती
आत्मबल भी खो गया था

जीतने को कुछ न था
हार वह सब कुछ गई थी
वह नारी थी
उसके सपनों का क्या

उसके सपनों से
किसी को क्या लेना
अंततः उसके सपनों का
दुखद अंत हो ही गया

Language: Hindi
1 Comment · 288 Views
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