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14 Feb 2021 · 1 min read

“वैलेंटाइन याद रह गया उनको याद करेगा कौन”

एक गुलाब उन शहीदों के नाम……

“वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन…….!

ख़ुद की हस्ती मिटाई जिसने
सरहद पे जान गवाईं जिसने,
हिना भी ना सुखी हाथों की
माथे की बिंदियां हटाई जिसने,
उस बूढ़ी माँ की हालत तुम पूछो
कलेजे के टुकड़े की अर्थी उठाई जिसने..!

वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन……….

क्या उनको अख्तियार नहीं था
क्या उनको जीवन से प्यार नहीं था,
वो भी ग़ुलाब थमा सकते थे
महफ़िल में रंग जमा सकते थे,
लेकिन ये उनको नहीं ग़वारा था
क्योंकि हिन्दोस्तां उनको प्यारा था !

वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन……..

मिट गए, मग़र झुके नहीं
आंधी-तूफ़ां में भी कदम रुके नहीं,
क्यों खाई सीने पे गोली
ताकि तुम खेल सको रंगों की होली,
थी उनकी भी चम्पा-चमेली
थी गाँव मे उनकी भी बड़ी हवेली !

लेकिन तुम भूल गए उनकी कुर्बानी
तुम्हें अच्छी नहीं लगती उनकी कहानी,
तुम्हारे कल के लिए वो पास्ट बन गये
गोलीबारी,धमाकों में ब्लास्ट बन गये,
आज तुम उनकी वजह से प्रथम बने हो यारों
वो अंतिम बेचारे, लास्ट बन गये !

वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन………!

आओ सब एक “दीप” जलाएँ
उनकी शहादत पे ग़ुलाब चढ़ाएं
जियें-मरें वतन की ख़ातिर
मेरा वतन गुलिस्तां,गुलशन बन जाए
चहूँ और हो उजियारा
मिट्टी में अमन के तरु खिल जाएं…..!

कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”

Language: Hindi
1 Like · 8 Comments · 361 Views
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