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4 Feb 2021 · 1 min read

मैं पागल तुम दीवानी हो

मैं पागल तुम दीवानी हो

मय युक्त लवों पर मुक्त तबत्सुम, उभरे उरोज मादक थिरकन कातिल चितवन,
न्यासी हो प्रकृति की या साकी कोई भरा हुआ पैमाना हो….
जुगुनू सी बुझती जलती हो रह रह कर मंद चमकती हो
जीवन हो या मयशाला हो …

मेरे कोरे मन पर तूने क्यों प्रेम गीत लिखना चाहा….
रीते भावों के सागर मैं क्यों कमल पुहुप रखना चाहा….

हीरा हो तुम , तुम ना जानो मेरा जीवन हो ये मानो….
होश नहीं पर लिखता हूँ मंजिल हो तुम मेरी रानों….

तुम चाहत हो, तुम राहत हो, इस दिल पर अमिट कहानी हो….
मत सोचो ये तो निर्णित है मैं पागल तुम दीवानी हो….

भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान
मो.94914307564

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 408 Views
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