प्रकृति
तुम कभी प्रकृति के पास जाओ,
उद्यान में खिले अधखिले फूलो को देखो,
बड़े छायादार,शीतल छाँव वाले पेड़ के पास रहो,
ईश्वर ने प्रकृति को बहुत कुछ देने के लिये तत्पर किया है।
आओ हम उससे तालमेल बनाये,
मिलजुल उसको पोषित करे,
देखना तुम्हारा जीवन आनन्दित होता जायेगा
पल पल खुशहाली मिलेगी।
सबका जीवन आनंदित हो जाएगा,
पेड़,पौधे,पक्षियों और गिलहरियों को देखो,
उनकी सहजता अपने भीतर भर लो,
उनका जीवन बिना छलकपट चलता है।
उनसे कुछ सीखो तो तुम सुखी हो जाओगे,
किसी शान्त-चित्त आत्मा का सत्संग करो,
तुम्हारी सारी चिन्तायें दूर हो जायेंगी,
आत्मबल समृद्ध होगा जीने की प्रेरणा मिलेगी।
प्रकृति से कुछ थोड़ा मौन रहना सीख लो,
दूसरों को देखने के बजाय,
सब अपनी गतिविधियों पर ध्यान दो तो देखना,
मेरा-तुम्हारा सबका कल्याण हो जायेगा।
आओ बैठ कुछ पल निहारे प्रकृति को,
उसके निश्छल-मनमोहक रूप को,
ईश्वर का वरदान हैं मानव के लिए प्रकृति,
आओ सहेजे अपने इस प्यारे से उपहार को।