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29 Jan 2021 · 1 min read

"रेल"

छुक-छुक करती चलती रेल।
सिग्नल देख निकलती रेल ।
नानी के घर हमें उतार,
फिर रफ़्तार पकड़ती रेल ।

छुट्टी के दिन रहते चार,
नाना नानी करते प्यार ।
रोज सबेरे सैर कराते,
पैदल पथ करवाते पार।

हलुआ पूड़ी और बदाम
नानी देतीं मीठे आम ।
नानाजी देते हर बार,
मोटर गाड़ी और इनाम।

फिरती बार थकाती रेल,
सीटी खूब बजाती रेल।
मन में मीठी याद बसाकर,
पापा के घर लाती रेल।।

रचनाकाल
20 मार्च 2018

-जगदीश शर्मा सहज
अशोकनगर mp

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