Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
29 Jan 2021 · 1 min read

आओ हिन्दवासियो

आओ हिन्दवासीयों आओ तुमकों चुड़िया उपहार दे दूँ
बहुत हुई नामर्दी तुम्हारी तुमकों गांडीव की टंकार दे दूँ

यह जो तुम पाकिस्तान के दीवाने भारत मे पाल रहें हो
आवाम के जहन में जहर घोलने वालो के मैं दीदार दे दूँ

जहर उगलते इन विषधरों के दाँत अब तोड़ डालों तुम
पीठ में छुरा घोपने वालों से बचो ये ख़बर तुम्हे यार दे दूँ

खबरदार ये संपोले गाला आधी रात को भी चीर डालेंगे
तुम्हारे बाजूओं में जंग लगी है आओ थोड़ी मैं धार दे दूँ

एक चन्दन गुप्ता खोया तुमने तिरंगे के सम्मान यात्रा में
उसको श्रद्धांजलि होगी ,गर कविता में तुम्हें पुकार दे दूँ

कश्मीर खोया अपने हिंदुत्ववादी व्यवहार से तुमने यारोँ
पाकिस्तान के बैठे कठमुल्ले,जो उन्हें युद्ध का ज्वार दे दूँ

कितनी कुर्बानीयां और देकर तुम भारतवासीयों जागोगे
आपस मे लड़ना छोड़ो तो लड़ने को मैं देश तैयार दे दूँ

तेरी याद में आँखें पुरनम है ऐ मेरे मासूम दोस्त पंकज
मेरा बस चले तो श्रद्धांजलि में कासगंज का नरसंहार दे दूँ

कभी कैराना कभी कश्मीर कभी हैदराबाद कभी बंगाल
महज कुर्सी के रखवालों तुम्हारे हाथ में चुड़िया हजार दे दूँ

बहुत हुई अशोक नामर्दनगी कब तक हमदर्दी दिखायेगा
वन्दे मातरम जय हिंद के नारे क़लम बना को तलवार दे दूँ

अशोक सपड़ा हमदर्द की क़लम से दिल्ली से

Loading...