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6 Jan 2021 · 1 min read

**अपने ही हुए पराए**

हम समझते रहे वे हमारे।
लगते होंगे उनको हम प्यारे हैं।
भ्रम तो हमारा तब टूटा।
वक्त की मार में हम बेसहारे हैं।।
करते रहे वादे वे हमसे।
लगे जरूरत तो हमें याद करना।
मुसीबतों में गुहार लगा लगा कर ।
अब तो हम हारे हैं।।
करें एतबार अब हम किसका।
अपने ही हुए पराए हैं।।
बह रही युग में कौन सी धारा।
ना कोई घांट न ही किनारे हैं।।
विनय करता अनुनय सबसे से।
सारे हमारे लिए आंखों के तारे हैं।।
राजेश व्यास अनुनय

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