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5 Jan 2021 · 1 min read

तोड़ती आस दम नहीं होती

स्थिति अगर यूँ विषम नहीं होती
तोड़ती आस दम नहीं होती

झूठ चुभता नहीं है कानों में
बात सच की नरम नहीं होती

दान करने से और बढ़ती है
विद्या देने से कम नहीं होती

बात होगी जरूर पीछे कुछ
बेवजह आँख नम नहीं होती

स्थान सबका अलग-अलग दिल में
बात सबकी तो सम नहीं होती

मानते वो हमें अगर सबकुछ
बात मैं वाली हम नहीं होती

‘अर्चना’ होती है ये ईश्वर की
सेवा कोई रहम नहीं होती

05-01-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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