Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Jan 2021 · 1 min read

लक्ष्य

गीत

लक्ष्य पथ पर बढ़ें आत्मविश्वास से।
प्रेरणा प्राप्त कर पृष्ठ इतिहास से।

सत्व को जो मनुज नित्य प्रेरित करे।
और साहस हृदय में निवेशित करे।
ध्येय निश्चित उसी को मिलेगा यहाँ-
जो मनोयोग से साध्य पोषित करे।
यत्न थकता नहीं तिक्त उपहास से।

प्राप्त होती उसे ही सफलता सदा।
हो प्रखर दूर करता विकलता सदा।
अनवरत लक्ष्य पर दृष्टि हो पार्थ सी-
हारती युगपुरुष से विफलता सदा।
संयमित चित्त एकाग्र अभ्यास से।

संग चलता भले जय-पराजय यहाँ।
याद रहता सभी को सदाशय यहाँ।
सिक्त हो मन हमेशा इसी भाव से-
सूखता फिर नहीं उर जलाशय यहाँ।
कीर्ति मिलती सदा शौर्य अनुप्रास से।

थाम लेता नदी की प्रबल धार को।
तोड़ अवरोध के हर कठिन द्वार को।
कर्मनिष्ठा,समर्पण,विजय नाद से-
धैर्य से सिद्ध करता चमत्कार को।
शीर्ष उनवान गुणधर्म विन्यास से।

नीति चाणक्य का मूल आधार है।
लक्ष्य की प्राप्ति का बस यही सार है।
पूर्ण ताकत लगा जो निरन्तर चले-
व्यक्ति पाता वही श्रेष्ठ अधिकार है।
साधता जो इसे दीप्ति उल्लास से।

@सर्वाधिकार सुरक्षित

कृष्णा श्रीवास्तव
हाटा,कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

Loading...