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4 Jan 2021 · 1 min read

मां की रक्षा

अब छोड दो आशा जीवन और मरन की।कूद पर मैं दान मे लेकर सौगन्ध मेरे वतन की।मानव का धर्म नहीं है अतयाचार सहन की।वीर कभी चिंता नही करते है अपनी गर्दन की। माता की लाज बचाने मे अगर होती है कुरबानी।वीर गति को होगा बनकर अमर कहानी।

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