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2 Jan 2021 · 1 min read

नव वर्ष

चहकते थिरकते झूमकर आइये,
अब नये साल को चूमकर जाइये।
ये नया साल है काल का इक नशा,
हैं युवा होश में घूम कर छाइये।
खनकते चमकते चहकते आइये।
झूमते नाचते घूमते जाइये।
खूबसूरत दिखो यह जरूरी नहीं।
संगिनी रुपसी सहचरी चाहिये।
झूमते नाचते हाँकते मिल गयी।
हाँफते मन ही मन काँपते मिल गयी।
रूप से रुठकर घर न जाया करो।
डांडिया नाचते भाँपते मिल गयी।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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