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21 Dec 2020 · 1 min read

मुक्तक

हमेशा से रहा ही है हमारा देश सच्चाई पर,
संभाला जब कभी विश्व लगा गिरने ढलाई पर।
मिलेगा स्थान जो था पहले शक न हो जरा कोई,
पहुंचेगा मेरा भारत उसी इक दिन उंचाई पर।।

–अशोक छाबडा कवि गुरूग्राम।

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