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15 Dec 2020 · 1 min read

तुम्हें देखकर

तुम्हें देखकर
***(*(*****
तुम्हें देखकर
सारी थकान, मन का बोझ
छूमंतर हो जाता है,
तन मन में उत्साह, उल्लास
सा छा जाता है।
जब से तुम आई हो
मेरे घर आँगन में
खुशियों का भंडार
भर गया है मेरा,
अब तो बस तुम्हें देखता हूँ
खूब प्रफुल्लित होता हूँ
ऐसा लगता है जैसे
सातवें आसमान पर बैठा हूँ।
अब तो कुछ नहीं चाहत मेरी
तुम्हें देखकर
हर चाहत भूल जाता हूँ,
बस यूँ ही फुदकती रहना तुम
यही अरमान दिल में रखता हूँ।
● सुधीर श्रीवास्तव

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