Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Dec 2020 · 1 min read

मैं कलम हूँ

मैं कलम हूँ, मुझ पर ही निहित ये संसार है,
स्याही मेरा जीवन है, कागज़ मेरा आधार है।

मुझसे ही हर प्रतिभा, मुझसे ही व्यभिचार है,
मुझसे ही प्रशासन और मुझसे ही सरकार है।

मुझसे अनिष्ट है संभव, मुझसे शिष्टाचार है,
मुझमें शांति निहित है, मुझमें ही ललकार है।

मेरे शब्दों में अग्नि, मेरे वाक्यों में ज्वाला है,
मेरे द्वारा अलंकृत ये दिनकर और निराला हैं।

मैं कलम हूँ, और मैं चित्रगुप्त की पहचान हूँ,
चित्रांशों के लिए तो जैसे मैं अभय वरदान हूँ।
?? मधुकर ??

(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।

Loading...