Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Dec 2020 · 1 min read

ख़्वाब बुन ले

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122

कोई अब इक सुहाना ख़्वाब बुन ले
मिरे मालिक मिरी फ़रियाद सुन ले

तड़प उट्ठे जिसे सुनकर ज़माना
दिवाने दर्दे-उल्फ़त की तू धुन ले

न कर धोका किसी से ऐ बशर तू
बुराई करने वाले से भी गुन ले

है आलम बेवफ़ाई का मगर तू
नए धागे वफ़ा के यार बुन ले

घड़ी भर को है मेला ज़िन्दगी का
संभल जा नेक कोई राह चुन ले

Loading...