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2 Dec 2020 · 1 min read

जय गणेश..

जय गणेश कलि
कष्ट निकंदन।
दीन दुखी जन के
उर चंदन ।।

चार भुजा शोभित
अति सुंदर।
शिव गौरी बिहरित
मन मंदिर ।।

वक्र तुंड लम्बोदर
देवा ।
सकल जगत जन
करते सेवा ।।

सहज कृपा की
करते वृष्टि ।
पोषित होती है
सब सृष्टि ।।

धरते ध्यान तुम्हारा
जो जन।
रहे न कभी क्लेश
भरा मन ।।

श्रेष्ठ बुद्धि बल दाता
हो तुम ।
शरणागत के त्राता
हो तुम ।।

करो कृपा प्रभु अपने
जन पर।
रहे न विपति भार कुछ
तन पर ।।

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